'रत्ती भर भी शर्म नहीं आती' इस मुहावरे का इस्तेमाल पूरी दुनिया करती है लेकिन यह 'रत्ती' क्या होता है?
'रत्ती' क्या है? ये कहाँ से प्राप्त होता है और इसकी क्या उपयोगिता है?
जय श्री कृष्णा
नमस्कार
साथियों, आज के इस विडियो में हम जानेंगे 'रत्ती' क्या है? ये कहाँ से प्राप्त होता है और इसकी क्या उपयोगिता है? रत्ती का प्रयोग मुहावरे में कैसे हुआ। जब मापने की ईकाई नहीं थी तो रत्ती की मापक के रूप में क्या भूमिका थी। क्यों इसे सोना, हीरे जवाहारत का मापक पैमाना माना गया है। इसके अलावा रत्ती के स्वास्थय से जुड़े क्या लाभ हैं। रत्ती की आयुर्वेद में क्या भूमिका है। आज का यह विडियो काफी जानकारी भरा होने वाला है। तो चलिए शुरू करते हैं....
विडियो शुरू करने से पहले मैं उन लोगों से कहना चहूंगा कि जो लोग भी पहली बार मेरे चैनल में आए हैं वो चैनल ज्ञान मिला को सब्सक्राइब कर लें, साथ ही बेल आइकॉन को भी प्रेसकरके औन कर लें, ताकि आपको हमारे सभी आने वालेे विडियो के नोटिफिकेशन मिल सकें।
जब हमें किसी पर बहुत गुस्सा आता है तो हम कह बैठते हैं तुम्हें रत्ती भर भी शर्म नहीं है? या रत्ती भर भी अक्ल नहीं है। हममें से अधिकतर लोग रत्ती का अर्थ 'जरा सी भी' से निकालते हैं । बोलने वाला भी यही सोच कर बोलता है और सुनने वाला भी इसी अर्थ में लेता है। पर असल में इसका कुछ और ही अर्थ और उपयोगिता है।
आपको यह जानकर बहुत ही हैरानी होगी कि रत्ती एक पौधा है । मटर जैसी फली में लगने वाली रत्ती के दाने काले और लाल रंग के होते हैं। यह बहुत आश्चर्य का विषय सबके लिए है। जब आप इसे छूने की कोशिश करेंगे तो यह आपको मोतियों की तरह कड़ा प्रतीत होगा, यह पक जाने के बाद पेड़ों से गिर जाता है। इस पौधे को ज्यादातर आप पहाड़ों में ही पाएंगे। रत्ती के पौधे का लैटिन नाम एब्रस प्रिकॉटोरियस है। इसके अलावा इसे कई भाषाओं में अलग-अलग नाम से जाना जाता है। आम भाषा में ‘गूंजा ‘ कहा जाता है। अगर आप इसके अंदर देखेंगे तो इसमें मटर जैसी फली में दाने होते हैं।
सोना को मापने के लिए होता था इस्तेमाल
जब लोगों ने इसमें रुचि दिखाई, और इसकी जांच पड़ताल शुरू की तो सामने आया कि पुराने जमाने में कोई मापने का सही पैमाना नहीं था। इसी वजह से रत्ती का इस्तेमाल सोने या किसी जेवरात के भार को मापने के लिए किया जाता था। वहीं सात रत्ती सोना या मोती, माप के चलन की शुरुआत मानी जाती है।
आपको बता दें कि यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में होता आ रहा था। अभी की भी बात करें तो यह विधि, या कहें तो इस मापन की विधि को किसी भी आधुनिक यंत्र से ज्यादा विश्वासनीय और बढ़िया माना जाता है। आप इसका पता अपने आसपास के सुनार या जौहरी से भी लगा सकते हैं।
मुंह के छालों को भी करता है ठीक
ऐसा माना जाता है कि अगर आप रत्ती के पत्ते को चबाना शुरू करें तो मुंह में होने वाले सारे छाले ठीक हो जाते हैं। साथ ही साथ इस के जड़ को भी सेहत के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। आपने कई लोगों को’ रत्ती’, ‘ गूंजा’ पहनते हुए भी देखा होगा। कुछ लोग अंगूठी बनवा देते हैं तो कुछ लोग माला बनाकर इसे पहनते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह एक सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है जो की बहुत ही अच्छी बात है।
हमेशा एक जैसा होता है इसका भार
आपको यह जानकर बहुत ही आश्चर्य होगा कि इसकी फली की आयु कितनी भी क्यों ना हो, लेकिन जब आप इसके अंदर उपस्थित बीजों को लेंगे और उनका वजन करेंगे, तब आपको हमेशा यह एक समान ही दिखेगा। इसमें 1 मिलीग्राम का भी फर्क कभी नहीं पड़ता है।
इंसानों की बनाई गई मशीन पर तो कभी-कभी भरोसा उठ भी जाए और यंत्र से गलती हो भी जाए लेकिन इस पर आप आंख बंद करके विश्वास कर सकते हैं। प्रकृति द्वारा दिए गए इस ‘गूंजा ‘ नामक पौधे के बीज की रत्ती का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता है। ऐसा लगता है कि ईश्वर ने ही इस पौधे को तराजू की उपाधि दे रखी है।
अगर वजन मापने की आधुनिक मशीन को देखा जाए तो एक रत्ती लगभग — 0.121497 ग्राम की हो जाती है। जोकि .91 कैरट होता है। 1 कैरट में 200 मिलीग्राम होता है। और एक ग्राम में 1000 मिलीग्राम होता है। इसी तरह से एक तोला दस ग्राम का होता है।
गूंजा के बीज तंत्र मंत्र में भी उपयोग किए जाते हैं। ये तांत्रिकों के बीच जितने मशहूर हैं उतने ही आयुर्वेद चिकित्सा में भी इनका प्रयोग किया जाता है। श्वेत गूंजा का आयुर्वेद में सबसे ज्यादा प्रयोग होता है। कुछ गूंजे विषैले भी होते हैं इसलिए बिना जांच पड़ताल के इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
तो दोस्तों उम्मीद करते हैं कि आज के विडियो से आपको कुछ नई जानकारी मिली होगी। आगे भी ऐसे ही जानकारी पाने के लिए हमारे चैनल ज्ञान मिला को सब्सक्राइब करें। मिलेंगे एक विडियो में एक नए टॉपिक के साथ। तब तक के लिए नमस्कार, धन्यवाद जयश्री कृष्णा
रत्ती के अन्य भाषाओं में नाम
बंगाली में गुंजिका, कुंच
तमिल में कुंतुमनी, कुन्नी
गुजराती में रत्ती, गुमची
मराठी में गुंज, खक्सी
हिंदी में गुंजा, गुमची
संस्कृत में गुंजा, मधुयष्टिका, रती
अंग्रेजी में Jequerity seed, indian liquorice
लैटिन में Abrus precatorius
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks