जय श्री कृष्णा
नमस्कार
साथियों,
गरुड़ पुराण के अनुसार अगर आपके पास मरते समय 4 खास सामग्री हैं तो यमराज भी आपको प्रणाम करते हैं और दंड नहीं देते हैं। यूं तो हममें से कोई नहीं जानता है कि मरने के बाद क्या होता है लेकिन शास्त्रों के अनुसार इस जीवन में आपने जो अच्छे-बुरे कर्म किए हैं उनका फल भोगना पड़ता है। लेकिन गुरुड़ पुराण के नवम अध्याय में एक उपाय बताया गया है जिससे मनुष्य को बिना कुछ किए स्वर्ग में स्थान मिल जाता है। पक्षीराज गरुड़ से भगवान विष्णु कहते हैं कि मृत्यु के समय जिनके पास ये चार चीजें होती हैं उनके पास यमदूत नहीं आते और व्यक्ति की आत्मा को स्वर्ग में स्थान मिल जाता है।
आइए जानते हैं वह क्या है...
तुलसी का पौधा
पुराण में बताया गया है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वह घर तीर्थरूप होता है। तुलसी की मंजरी से युक्त होकर जो व्यक्ति प्राण त्याग करता है वह यमलोक नहीं जाता है। इसलिए मृत्यु करीब जानकर परिवार के लोगों को तुलसी के पौधों के पास व्यक्ति को लेटा देना चाहिए। मरने वाले व्यक्ति के माथे पर तुलसी के पत्ते और मंजरियों को रख देना चाहिए। व्यक्ति के मुंह में भी तुलसी के पत्ते रख देना चाहिए। इस प्रकार से मृत्यु होने पर व्यक्ति यमलोक नहीं जाता है। इन्हें स्वर्ग जाने का अधिकार प्राप्त हो जाता है।
गंगा जल
सामाजिक मान्यता है कि मृत्यु के समय व्यक्ति के मुंह में लोग गंगाजल डाल देते हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मृत्यु को करीब जानकर जो लोग मरने वाले के मुख में गंगाजल डाल देते हैं वह मरने वाले का बड़ा उपकार करते हैं। गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकली है और पापों का नाश करने वाली है। गंगाजल धारण कर जो प्राण त्यागता है वह स्वर्ग का अधिकारी हो जाता है। पुराण में यह भी कहा गया है कि दाह संस्कार के बाद अस्थि को गंगाजल में प्रवाहित करने से जबतक व्यक्ति की अस्थि गंगा में रहती है तबतक व्यक्ति स्वर्ग में सुख से रहता है।
तिल
भगवान विष्णु ने गरुड़जी के कहा है कि तिल उनके पसीने से उत्पन्न होने के कारण पवित्र है। मृत्यु के समय मरने वाले के हाथों से तिल का दान करवाना चाहिए। इसके दान से असुर, दैत्य, दानव आदि भाग जाते हैं। मरने वाले के सिरहाने में काले तिल को रखना चाहिए, इससे सद्गति प्राप्त होती है।
कुश का आसन
कुश एक प्रकार का घास है जिसे हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना गया है। इसके बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती है। भगवान विष्णु ने पुराण में कहा है कि कुश उनके रोम से उत्पन्न हुआ है। मृत्यु के समय तुलसी के पौधे के पास कुश का आसन बिछाकर व्यक्ति को सुला देना चाहिए और मुंह में तुलसी का पत्ता रख देना चाहिए। इस प्रकार जिनकी मृत्यु होती है वह संतानहीन होने पर भी बैकुंठ प्राप्त करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि अगर व्यक्ति का श्राद्ध कर्म करने वाला भी कोई ना हो तब भी वह मुक्ति को प्राप्त कर लेता है।
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