शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

भगवान श्रीकृष्ण से जुड़े दस रोचक तथ्य



https://youtu.be/x9UTMWh80H4


1 श्रीकृष्ण पांडव के ननिहाल पक्ष से आते हैं।  पांडवों की माता कुंती, वासुदेव की बहन थीं, जो श्री कृष्ण के पिता थे।


2 श्रीकृष्ण इतने शक्तिशाली हैं कि उन्होंने अपने गुरु संदीपनी के मरे हुए पुत्र को जीवित कर अपने गुरु को गुरुदक्षिणा के रूप में दिया।


 3 श्रीकृष्ण ने देवकी के छह पुत्रों को भी पुनर्जीवित किया। देवकी के यह छह पुत्र पिछले जन्म में कालनेमि के पुत्र थे, और उन्हें हिरण्यकश्यप ने श्राप दिया था कि वे अपने पिता के कारण मर जाएंगे। अगले जन्म में कंस ने देवकी के छह पुत्रों को मार डाला। उनके नाम थे हम्सा, सुविक्रम, कृत, दमन, रिपुमर्दन, और क्रोधादहन।


4 जब दुर्वासा श्री कृष्ण की उपस्थिति में खीर खा रहे थे, तो उन्होंने श्री कृष्ण को आदेश दिया की वह अपने शरीर के बाए भाग पर खीर लगाए। कृष्ण इसे अपने शरीर पर लगाने के लिए सहमत हुए, लेकिन उन्होंने यह सोचकर अपने पैरों पर इसे लागू नहीं किया, कि खीर अपनी पवित्रता खो देगी। इस पर दुर्वासा ने नाराज होकर उन्हें श्राप दे दिया कि कृष्ण ने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया, इसीलिए उनके पैर अभेद्य और अखंड होने की गुणवत्ता खो देंगे। इसी तरह यह अभिशाप कृष्ण के अंत का कारण बन गया जब एक शिकारी ने एक तीर से कृष्ण जी के पैर को चोट पहुंचाई, और वह दुनिया से चले गए। 


5 महाभारत के समय उनकी आयु ७२ वर्ष बताई गयी है। महाभारत के पश्चात पांडवों ने ३६ वर्ष शासन किया और श्रीकृष्ण की मृत्यु के तुरंत बाद ही उन्होंने भी अपने शरीर का त्याग कर दिया। इस गणना से श्रीकृष्ण की आयु उनकी मृत्यु के समय लगभग १०८ वर्ष थी। ये संख्या हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र मानी जाती है। यही नहीं, परगमन के समय ना श्रीकृष्ण का एक भी बाल श्वेत था और ना ही शरीर पर कोई झुर्री थी।



 6 पहले अवतार में, भगवान राम ने बाली को मार डाला, और उन्होंने तारा (बाली की विधवा) को आश्वासन दिया कि बाली अपने अगले जन्म में बदला लेने में सक्षम होगा। बाली को ही जारा के रूप में पुनर्जन्म दिया गया था, और उसने एक सरल तीर के साथ पृथ्वी पर श्री कृष्ण का जीवन समाप्त कर दिया। यह गांधारी का श्राप था।


7 भगवान् कृष्ण की 16,108 रानियां थी, जिनमें से आठ राजपूत पत्नियाँ थीं, जिन्हें पटरानी या अष्टभैरव के नाम से जाना जाता था। अन्य 16,100 पत्नियाँ वे थीं जिन्हें श्रीकृष्ण ने भयंकर असुर नरकासुर के चंगुल से बचाया था। जब राक्षस नरकासुर ने अविवाहित लड़कियों को पकड़ लिया था कर वह उनके साथ नाजायज सम्बन्ध बनाता था तब श्रीकृष्ण ने उन लड़कियों को उसके चंगुल से बचाया था। समाज व् स्वयं उनका परिवार वालो ने उन्हें स्वीकार करने से मन कर दिया था, तब भगवान् कृष्ण ने उन्हें अपनी पत्नियों के रूप में जगह दी थी।


 8 श्रीकृष्ण के 80 बेटे थे जो आठ रानियों से पैदा हुए थे, प्रत्येक रानी ने 10 बेटों को जन्म दिया। उनमें से सबसे प्रसिद्ध थे। प्रद्युम्न, जो रुक्मिणी के पुत्र के रूप में थे; जांबवती का पुत्र सांब जो ऋषियों द्वारा शापित हो गया था और यही कारण था कि यदु वंश नष्ट हो गया। श्री कृष्ण ने भगवान शिव की तपस्या की थी ताकि उन्हें भगवान शिव जैसा पुत्र प्रापत हो।


 9 सुभद्रा, कृष्ण की बहन, वासुदेव और रोहिणी की बेटी थी और जब वासुदेव को जेल से मुक्त किया गया था तब उनका जन्म हुआ था। बलराम चाहते थे कि उनकी बहन सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से हो, जो उनके पसंदीदा शिष्य थे। हालांकि, उनकी बहन, और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी बलराम का विरोध किया गया था। भगवान् कृष्ण जानते थे के अर्जुन और सुभद्रा एक दूसरे से प्यार करते है। इसीलिए कृष्ण ने अर्जुन को सुभद्रा का अपहरण करने की सलाह दी, और सुभद्रा ने अर्जुन से इंद्रप्रस्थ में शादी कर ली।


10 शास्त्रों में कहीं भी राधा का उल्लेख नहीं किया गया है। इसका उल्लेख महाभारत या श्रीमद्भागवतम् में भी नहीं है। व्यास जी की पुस्तके पढ़ने वाला हर एक व्यक्ति चाहता है के राधा का जिक्र हो लेकिन उनके किसी भी शास्त्र में राधा का उल्लेख नहीं किया गया। इस बात को जयदेव ने अपनी पुस्तकों में शामिल किया और फिर वहीं से कृष्ण और राधा के बारे में लोगो को जानने को मिला।


 11 एकलव्य, वासुदेव के भाई देवश्रवा का पुत्र था। वह भगवान् कृष्ण के चचेरा भाई थे। एक दिन, वह जंगल में खो गया, और बाद में निशाडा हिरण्यधनु से मिला। वह अपने पिता की रक्षा करते हुए मर गया,उस दौरान रुक्मिणी अपने स्वयंवर में थी और कृष्ण ही थे


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