रविवार, 21 अगस्त 2022

भारत के 10 सबसे रहस्यमय मंदिर



अगर आप हिंदू हैं और मंदिर जाना ठीक समझते हैं तो आपको यह विडियो देखना चाहिए। इस विडियो में भारत के ऐसे चुने हुए दस मंदिरों को दिखाया  गया है, जो न सिर्फ आस्था के केंद्र हैं, बल्कि कई रहस्यों को अपने में समेटे हुए हैं। आइए जानते हैं इन रहस्यमय मंदिरों का संक्षिप्त परिचय

   



1 स्तंभेश्वर महादेव मंदिर

कई पुराणों में इस तीर्थ स्थल के बारे में बताया गया है। महिसागर संगम तीर्थ की पावन भूमि पर भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय ने एक शिवलिंग को  स्थापित किया था, जिसे श्री स्तंभेश्वर महादेव कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि इसके दर्शन मात्र से व्यक्ति सभी कष्टों से मुक्त हो जाता है और उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है। यह स्तंभेश्वरतीर्थ गुजरात के भरूच जिला के जंबुसर तहसील में कावी-कंबोई समुद्र तट पर है। मंदिर की विशेषता यह है कि समुद्र दिन में दो बार श्री स्तंभेश्वर शिवलिंग का स्वयं अभिषेक करता है। समुद्र का पानी बढ़ने पर मंदिर पानी में डूब जाता है और थोड़ी ही देर में पानी उतर भी जाता है।


 2 करणी माता का मंदिर, 

 करणी माता का यह मंदिर बीकानेर (राजस्थान) में स्थित है। यह बहुत ही अनोखा मंदिर है। इस मंदिर में रहते हैं लगभग 20 हजार काले चूहे। लाखों की संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना पूरी करने आते हैं। करणी देवी, जिन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है, के मंदिर को ‘चूहों वाला मंदिर’ भी कहा जाता है।

यहां चूहों को काबा कहते हैं और इन्हें बाकायदा भोजन कराया जाता है और इनकी सुरक्षा की जाती है। यहां इतने चूहे हैं कि आपको पांव घिसटाकर चलना पड़ेगा। अगर एक चूहा भी आपके पैरों के नीचे आ गया तो अपशकुन माना जाता है। कहा जाता है कि एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर गया तो आप पर देवी की कृपा हो गई समझो और यदि आपने सफेद चूहा देख लिया तो आपकी मनोकामना पूर्ण हुई समझो।


3 पुरी का जगन्नाथ मंदिर

ओडिशा के नगर पुरी के तट पर भगवान जगन्नाथ का एक प्राचीन मंदिर स्थापित है। यहां आज भी भक्‍तों की काफी भीड़ होती है। कहा जाता है कि इस मंदिर के कलश अथवा शिखर की छाया नहीं बनती है। इसके अलावा इस मंदिर के ऊपर लगा झंडा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। इसके अलावा इसके गुंबद के आसपास कोई पक्षी नहीं उड़ता है। काफी जांच पड़ताल के बावजूद भी इन रहस्‍यों का खुलासा नहीं हो सका है। यहीं नहीं इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का हृदय अब तक संभालकर रखा गया है। इससे हर साल मूर्ति बदलते वक्त नई मूर्ति में स्थापित किया जाता है। यह काम करते वक्त पूरे शहर में लाइट को बंद कर दिया जाता है। यहां तक की इस कार्य को करने वाले पुजारी की आंखों में पट्टी बांध  दी जाती है। कहा जाता है कि अगर किसी ने उसे एक बार देख लिया तो वो जीवित नहीं बचता है। 


4 काल भैरव मंदिर

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर से करीब 8 कि.मी. दूर कालभैरव मंदिर है। यहां भगवान कालभैरव को प्रसाद के तौर पर केवल शराब ही चढ़ाई जाती है। शराब से भरे प्याले कालभैरव की मूर्ति के मुंह से लगाने पर वह देखते ही देखते खाली हो जाते हैं। मंदिर के बाहर भगवान कालभैरव को चढ़ाने के लिए देसी शराब की कई दुकानें हैं।

पुराणों के अनुसार, एक बार भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव का अपमान कर दिया था, इस बात से भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए और उनके नेत्रों से कालभैरव प्रकट हुए। क्रोधित कालभैरव ने भगवान ब्रह्मा का पांचवा सिर काट दिया था, जिसकी वजह से उन्हें ब्रह्म-हत्या का पाप लगा। इस पाप को दूर करने के लिए वह अनेक स्थानों पर गए, लेकिन उन्हें मुक्ति नहीं मिली। तब भैरव ने भगवान शिव की आराधना की। शिव ने भैरव को बताया कि उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर ओखर श्मशान के पास तपस्या करने से उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। तभी से यहां काल भैरव की पूजा हो रही है। कालांतर में यहां एक बड़ा मंदिर बन गया। कहा जाता है मंदिर का निर्माण परमार वंश के राजाओं ने करवाया था।


5 कैलाश मानसरोवर : यहां साक्षात भगवान शिव विराजमान हैं। यह धरती का केंद्र है। दुनिया के सबसे ऊंचे स्थान पर स्थित कैलाश मानसरोवर के पास ही कैलाश पर्वत और आगे मेरू पर्वत स्थित है। यह संपूर्ण क्षेत्र शिव और देवलोक कहा गया है। रहस्य और चमत्कार से परिपूर्ण इस स्थान की महिमा वेद और पुराणों में भरी पड़ी है।

कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22,068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है। चूंकि तिब्बत चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है, जो चार धर्मों- तिब्बती धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और हिन्दू का आध्यात्मिक केंद्र है। कैलाश पर्वत की 4 दिशाओं से 4 नदियों का उद्गम हुआ है- ब्रह्मपुत्र, सिंधु, सतलुज व करनाली।


6 ज्वाला देवी मंदिर… ज्वालादेवी का मंदिर हिमाचल के कांगड़ा घाटी के दक्षिण में 30 किमी की दूरी पर स्थित है। यह मां सती के 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहां माता की जीभ गिरी थी। हजारों वर्षों से यहां स्थित देवी के मुख से अग्नि निकल रही है। इस मंदिर की खोज पांडवों ने की थी।

इस जगह का एक अन्य आकर्षण ताम्बे का पाइप भी है जिसमें से प्राकृतिक गैस का प्रवाह होता है। इस मंदिर में अलग अग्नि की अलग-अलग 9 लपटें हैं, जो अलग-अलग देवियों को समर्पित हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार यह मृत ज्वालामुखी की अग्नि हो सकती है।

हजारों साल पुराने मां ज्वालादेवी के मंदिर में जो 9 ज्वालाएं प्रज्वलित हैं, वे 9 देवियों महाकाली, महालक्ष्मी, सरस्वती, अन्नपूर्णा, चंडी, विन्ध्यवासिनी, हिंगलाज भवानी, अम्बिका और अंजना देवी की ही स्वरूप हैं।

कहते हैं कि सतयुग में महाकाली के परम भक्त राजा भूमिचंद ने स्वप्न से प्रेरित होकर यह भव्य मंदिर बनवाया था। जो भी सच्चे मन से इस रहस्यमयी मंदिर के दर्शन के लिए आया है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।


7 कन्याकुमारी मंदिर : समुद्री तट पर ही कुमारी देवी का मंदिर है, जहां देवी पार्वती के कन्या रूप को पूजा जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए पुरुषों को कमर से ऊपर के वस्त्र उतारने पड़ते हैं। प्रचलित कथा के अनुसार देवी का विवाह संपन्न न हो पाने के कारण बच गए दाल-चावल बाद में कंकर बन गए। आश्चर्यजनक रूप से कन्याकुमारी के समुद्र तट की रेत में दाल और चावल के आकार और रंग-रूप के कंकर बड़ी मात्रा में देखे जा सकते हैं।


कन्याकुमारी अपने सूर्योदय के दृश्य के लिए काफी प्रसिद्ध है। सुबह हर होटल की छत पर पर्यटकों की भारी भीड़ सूरज की अगवानी के लिए जमा हो जाती है। शाम को अरब सागर में डूबते सूरज को देखना भी यादगार होता है। उत्तर की ओर करीब 2-3 किलोमीटर दूर एक सनसेट प्वॉइंट भी है।


8 राजराजेश्वरी मंदिर बिहार में


बिहार में यह मंदिर देवी देवी दुर्गा को समर्पित है। देवी दुर्गा ही नहीं इस मंदिर में और भी कई देवी प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं। इस मंदिर में हर रात, किसी के बोलने की आवाज़ पड़ोस के लोगों द्वारा सुनी जाती है। इस मंदिर के आस-पास के लोगों का दावा है कि ये ध्वनियाँ एक-दूसरे के साथ बात करने वाली देवी देवताओं की आवाज़ हैं। अब तक किसी को भी रात में इस मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है।


9 जगनाथार मंदिर उत्तर प्रदेश में


यह मंदिर कानपुर शहर में मौजूद है। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत अलग है और स्थानीय लोगों द्वारा इसे मानसून मंदिर कहा जाता है। मंदिर के गर्भगृह के ऊपर एक छिद्र है। रहस्य यह है कि अगर पानी की बूंदें ज्यादा गिरती हैं तो अगले हफ्ते भारी बारिश या बाढ़ आ जाएगी। यदि पानी की बूंदें कम हो जाती हैं तो इस क्षेत्र में जल्द ही सूखा पड़ेगा।


10 कामाख्या मंदिर

पूर्वोत्तर भारत के राज्य असम में गुवाहाटी के पास स्थित कामाख्या देवी मंदिर देश के 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध है। लेकिन इस अति प्राचीन मंदिर में देवी सती या मां दुर्गा की एक भी मूर्ति नहीं है। पौराणिक आख्यानों के अनुसार इस जगह देवी सती की योनि गिरी थी, जो समय के साथ महान शक्ति-साधना का केंद्र बनी। कहते हैं यहां हर किसी कामना सिद्ध होती है। यही कारण इस मंदिर को कामाख्या कहा जाता है।


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