एक हेक्टेअर पर 25 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा
किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वन विभाग सहभागी बनेगा। नैशनल बैम्बू मिशन योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेअर बांस की खेती करने पर 25 हजार रुपये का अनुदान देगा। जिले को चालू वित्तीय वर्ष के लिए 13 हेक्टेअर क्षेत्रफल में बांस की खेती शुरु कराने का लक्ष्य मिला है। विभाग को उम्मीद है कि बांस की कटान पर कोई रोक न होने से इसका व्यापार बेहतर होगा। यहां तक बांस से कई तरह के चीजों का निर्माण करने वालों को आसानी से बांस भी मिल सकेगा। जिन किसानों के पास खाली जमीन है, उस पर अगर वह बांस की खेती करना चाहे तो वन विभाग उन्हें 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान देगा। डीएफओ एसके तिवारी ने बताया कि लक्ष्य सीमित होने के कारण प्रथम आवक प्रथम पावक के आधार पर योजना में लाभार्थी चुना जाएगा। बांस की खेती अब तक बाराबंकी में नहीं होती थी। बांस की मांग बढ़ने पर शासन ने इस खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की प्लानिंग की है।
अक्टूबर से मार्च मे करें शुरुआत
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बांस की खेती के लिए अक्टूबर से मार्च तक गड्ढा खोदने और जुलाई में रोपाई करने का उचित मौसम होता है। बाजार में 8 से 10 रुपये के अच्छी प्रजाति के पौध के उपलब्ध हैं। एक हेक्टेयर में 450 पौधे लगते हैं। जानकार बांस को खेत का खजाना कहते हैं। बांस को वन संपदा की लिस्ट से हटाकर भले ही किसानी का दर्जा दिया गया हो, लेकिन इस खेती का क्रियान्वयन वन विभाग से अब भी हो रहा है। जहां पर सरकारी नर्सरी में बांस के पौधे होते हैं, वहां पर किसानों को नि:शुल्क पौध उपलब्ध कराए जाते हैं। बांस की खेती से चार साल बाद मुनाफा शुरू हो जाता है। इससे पूर्व किसान बांस के कल्ले बिक्री कर लागत निकाल सकते हैं। एक एकड़ में 25 से 30 हजार रुपये के कल्ले बिक्री होते हैं। हरा सोना के नाम से बांस की खेती की पहचान होती है। सीतापुर में किसान ज्यादा खेती करते हैं। बंजर भूमि पर बांस की खेती करने से धीरे धीरे बंजर भी दूर होता है।
एक दिन में एक मीटर तक होती है वृद्धि
बांस के पौधे अन्य फसलों की तरह नहीं
होते है। इसके
कल्ले से जो भूमिगत तना निकलता है वह बड़ी तेजी से बढ़ता है और किसी-किसी किस्म की बढ़वार एक दिन में एक मीटर तक की होती है। बांस दो माह में अपना पूरा विकास कर लेता है। बांस के अच्छे बढ़वार के लिए बारिश में इसके कल्लों के बगल में मिट्टी चढ़ाकर जड़ों को ढक देना चाहिए। बांस की कटाई उसके होने वाले उपयोग पर निर्भर करता है अगर बांस की टोकरी बनानी है तो वह 3-४ वर्ष पुरानी फसल हो, अगर मजबूती के लिए बांस की आवश्यकता है तो 6 वर्ष की फसल ज्यादा उपयुक्त होती है। बांस की कटाई का उपयुक्त समय अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से दिसम्बर माह तक का होता है। गर्मी के मौसम में बांस की कटाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे जड़ें सूख सकती है और कल्ले फूटने की कम संभावनाएं
होती है। बांस का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन, बड़े बड़े होटलों
में फर्नीचर, टिम्बर मर्चेंट से लेकर सस्कृति कार्यों तक में होता है। बांस के औषधीय गुण भी है। इसका मुरब्बा, अचार आदि भी बनाया जाता है। बांस की डलिया पूजा के काम आती हैं। पौधों की बैरीकेंडिंग से लेकर छप्पर निर्माण, टमाटर की खेती में बहुतायत होता है।
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