बुधवार, 27 जनवरी 2021

Good News: LDA के बसंतकुंज योजना में एक फरवरी से 250 भूखंडों का पंजीकरण/2021

 


लखनऊ : यूपी की राजधानी लखनऊ में लखनऊ विकास प्राधिकरण से प्लॉट लेने की सोच रहे हैं तो यह खबर आपके लिए ही है। प्राधिकरण ने अपनी बसंत कुंज योजना के प्लॉट बिक्री के लिए आवेदन निकाल दिए हैं। इसके लिए रजिस्ट्रेशन एक फरवरी से 28 फरवरी तक खुले रहेंगे। प्लॉट की कीमत 24,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर रखी गई है। एलडीए सचिव पवन गंगवार ने बताया कि 10 प्रतिशत कीमत जमा कर रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है।

आवंटन लॉटरी के माध्यम से होगा। आवेदन प्रक्रिया के लिए जरूरी शर्त और नियम वेबसाइट पर मौजूद रहेंगे। आवेदन करने से लेकर शुल्क जमा करने की सुविधा ऑनलाइन ही रहेगी।

बिक्री के लिए रखे गए प्लॉट पूरी तरह विवाद मुक्त हैं। इससे एलडीए शीघ्र ही कब्जा दिला देगा। ये भूखंड सेक्टर जे, एन और ओ में हैं। यहां विकास कार्य पूरे किए जा रहे हैं।

किस साइज के कितने प्लॉट मौजूद

एरिया         प्लॉट की संख्या          कीमत

288 वर्गमी.         5                       69,12,000

200 वर्गमी.         79                      48,00,000

112.50 वर्गमी.     150                   27,00,000

72 वर्गमी.             16                     17,28,000

यहां कर सकते हैं आवेदन

एलडीए की वेबसाइट www.ldaonline.in पर आवेदन प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।




लखनऊ, नोएडा और गाजियाबाद में घर खरीदना सबसे ज्यादा खतरनाक, गवां सकते हैं जीवन भर की कमाई


लखनऊ:  घर खरीदना हर किसी का सपना होता है, लेकिन इस सपने को पूरा करने के चक्कर में हजारों लोग अपने जीवन भर की कमाई गवां देते हैं। केवल तीन शहरों में ही लोग नौ सौ करोड़ रुपये से अधिक गंवा चुके हैं। जी हां, जब लोग गलत कोलोनाइजर के संपर्क में आते हैं तो उनको न सिर्फ जेब खाली करनी पड़ती है, बल्कि वो अपने प्लॉट पर कब्जा लेने के लिए भी भटकने के लिए मजबूर होते हैं। यह एक बड़ा दुर्भाग्य है कि सरकारी अफसर इस ओर तब ध्यान देते हैं, जब ऐसे लोगों की मेहनत की कमाई को जालसाज हड़प लेते हैं। 

जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ रहा है लोगों को मकान और जमीन की जरूरत बढ़ती जा रही है। इसी के चक्कर में अब तक यूपी के तीन सबसे बड़े शहर राजधानी लखनऊ के अलावा नोएडा और गाजियाबाद में सबसे अधिक लोग ठगे गए हैं। इसीलिए इन तीन शहरों में मकान, फ्लैट या जमीन लेते समय बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। 

दरअसल, यूपी रेरा ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वह बेहद डराने वाले हैं। अब तक लखनऊ के अलावा नोएडा और गाजियाबाद में ही मकान का सपना दिखाकर लोगों से करीब नौ सौ करोड़ रुपये ठगे जा चुके हैं। अब तक 881 करोड़ रुपये की आरसी बिल्डरों को वसूली के लिए जारी की जा चुकी है। दिल्ली से सटे नोएडा में मकान या फ्लैट खरीदना सबसे खतरनाक है। यहां पर हर दूसरा और तीसरा बिल्डर या कोलोनाइजर डिफाल्टर श्रेणी में है। यहां पर अब तक 1850 आरसी जारी की जा चुकी हैं। करीब 630 करोड़ रुपये की इन आरसी से वसूली जानी है। यानी बिल्डर निवेशकों का इतना पैसा मकान या फ्लैट देने के नाम पर हजम कर चुके हैं। यह तो केवल रेरा की नोटिस में दर्ज रकम की बात है मूल डूबी रकम इससे कई गुना है। 

लखनऊ में ठगी के इस मामले में कतई पीछे नही है। यहां पर भी करीब 740 मामलों में बिल्डरों को वसूली के लिए आरसी जारी की जा चुकी है। यहां पर भी करीब डेढ़ सौ से लेकर दो सौ करोड़ रुपये की केवल आरसी जारी की चुकी है। अगर दूसरे अन्य मामलों की बात करें तो करीब एक हजार करोड़ रुपये निवेशकों के बिल्डर हड़पकर फरार हो चुके हैं। एनसीआर में मकान लेने की चाहत  में गाजियाबाद भी डिफाल्टर बिल्डरों की पसंद बनता जा रहा है। यहां पर भी 430 मामलों में आरसी जार की जा चुकी हैं सौ करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की जानी है।  दरअसल, यह आंकड़ा भी बहुत छोटा है। इन शहरों में तमाम ऐसे बिल्डर और कोलोनाइजर हैं जो लोगों को प्लाट या मकान बेचने के नाम पर ठग रहे हैं।

 लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश का कहना है कि जिनको मकान या प्लॉट चाहिए वह एलडीए या दूसरी सरकारी योजनाओं के तहत खरीदें। अगर प्राइवेट बिल्डर से खरीद रहे हैं तो इस बात की पुष्टि अवश्य करें कि रेरा से पंजीकृत है या नहीं।


उत्तर प्रदेश सरकार ने नक्शा पास करवाने का विकास शुल्क बढ़ाया

 


लखनऊयूपी के लखनऊ, कानपुर, आगरा , वाराणसी, मेरठ में अब नक्शा पास कराना महंगा हो गया है। इसका सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ेगा। योगी सरकार की कैबिनेट ने सोमवार को विकास प्राधिकरणों में नक्शा पास कराने के लिए विकास शुल्क में संशोधन किया है। अन्य जिलों में भी विकास प्राधिकरणों द्वारा नक्शा पास कराने के लिए विकास शुल्क में बढ़ोत्तरी की मंजूरी मिल गई है। वहीं राज्य के 12 शहरों में इसे कम किया गया है। 

योगी सरकार की कैबिनेट ने लखनऊ, कानपुर और आगरा में नक्शा पास कराने के लिए विकास शुल्क 1400 रुपये से बढ़कार 2040 रुपये प्रति वर्ग मीटर कर दिया है। मिली जानकारी के अनुसार इस नई व्यवस्था को एक अप्रैल से लागू किया जाएगा। लखनऊ विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद के मकानों पर यह नई व्यवस्था लागू नहीं होगी। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कोरोना जैसी महामारी या आपदा जैसी स्थितियों में नक्शा पास कराने के लिए विकास शुल्क किस्तों में जमा करने की भी सुविधा दी गई है। उत्तर प्रदेश नगर योजना और विकास (विकास शुल्क का निर्धारण, उद्ग्रहण एवं संग्रहण) (प्रथम संशोधन) नियमावली 2021 को योगी सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दी है।  

विकास प्राधिकरण  वर्तमान         बढ़ा   अंतर


लखनऊ                 1400           2040   640

कानपुर                  1400           2040    640

आगरा                   1400           2040     640

वाराणसी               1000            1200     200

मेरठ                      1000           1200    200

बुधवार, 13 जनवरी 2021

अस्थमा रोगियों के लिए फायदेमंद पीपल की पत्तियों का चूर्ण

लखनऊ: आयुर्वेद में लंबे समय से पीपल की पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है। कई ऐसी दवाईयां हैं, जिसमें पीपल की पत्तियों और फलों का इस्तेमाल किया जाता है। पीपल के प्रयोग से घाव, सूजन, दर्द से आराम मिलता है। पीपल खून को साफ करता है। पीपल की छाल मूत्र-योनि विकार में लाभदायक होती है। पीपल की छाल के उपयोग से पेट साफ होता है। गर्भधारण करने में मदद करता है। अस्थमा रोगियों के लिए भी पीपल की पत्तियां काफी फायदेमंद हो सकती हैं। इसके लिए पीपल की कुछ पत्तियों को अच्छी तरह सुखा लें। इसके बाद इन्हें पीसकर पाउडर बना लें। इस पाउडर को दूध में उबाल कर पिएं। इसमें आप शहद या चीनी मिक्स कर सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के बाद अस्थमा की परेशानी बढ़ने पर दिन में दो बार इसका सेवन भी किया जा सकता है। सुजाक, कफ, डायबीटीज, ल्यूकोरिया, सांसों के रोग में भी यह लाभ पहुंचाती है। आइए विस्तार से इससे होने वाले लाभ के बारे में जानते हैं।

आंखों के दर्द से मिलेगी राहत

अगर आपके आंखों में जलन और दर्द की परेशानी है, तो आप पीपल की पत्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। आंखों की समस्या से राहत पाने के लिए आप पीपल की पत्तियों को दूध में मिलाएं और इसे उबालें। इस दूध को पीने से आंखों की समस्या से काफी राहत मिलेगा। इसके अलावा आप पीपल की पत्तियों को पीसकर आंखों में लगाएं। इससे आपकी आंखों को ठंडक मिलेगी। 

पेट-दांत दर्द से मिले राहत

पीपल में ऐंटी-इन्फ्लेमेटरी और एनाल्जेसिक गुण होते हैं, जो दर्द निवारण गुण हैं। इससे कई तरह के दर्द व सूजन से राहत मिल सकती है। पेट की समस्याओं में पीपल की पत्तियों को पानी में उबालकर दिन में दो बार पिएं। इससे पेट की परेशानी से राहत मिलेगी। अगर दांत में दर्द हो रहा है, तो पीपल के तने से ब्रश करें। दांतों में कीड़ें हैं या फिर मुंह से बदबू आती है, तो पीपल की कच्ची जड़ का इस्तेमाल करें। इन जड़ों को अपने दांतों में रगड़ें। इससे दांतों में कीड़े की परेशानी दूर होगी। 

पीलिया

पीपल का औषधीय गुण पीलिया जैसी बीमारी को भी खत्म कर सकता है। पीपल की पत्तियों में फ्लेवोनॉइड, स्टेरोल्स जैसे बायोएक्टिव यौगिक पाए जाते हैं। अगर पीपल की दो से तीन पत्तियों को दिन में दो बार पानी और चीनी के साथ सेवन किया जाए, तो पीलिया की समस्या में लाभ हो सकता है।

लिवर के लिए

कुछ दवाओं के सेवन से कभी-कभी लिवर को हानि पहुंच सकती है। ऐसे में लिवर के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पीपल पर भरोसा किया जा सकता है। पीपल में हेपोप्रोटेक्टिव क्रिया (लिवर को डैमेज होने से बचाने वाली एक क्रिया) पाई जाती है। अर्क का उपयोग करने से लिवर को खराब होने से बचाया जा सकता है।

रक्त को शुद्ध करने में

आयुर्वेद में पीपल की पत्तियों को रक्त की अशुद्धता को दूर करके, त्वचा रोग को ठीक करने के लिए लिए इस्तेमाल किया जाता है। पीपल की पत्तियों में ऐंटी-बैक्टीरियल और ऐंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं और एक वैज्ञानिक शोध के आधार पर यह भी बताया गया कि पीपल की पत्तियों के अर्क को पीने से रक्त शुद्ध हो सकता है।

लाइट हाउस तकनीकी से लखनऊ के अवध विहार में बनेंगे 1040 फ्लैट, मार्च में आएंगे आवेदन, कीमत सिर्फ 4 लाख रुपये

  


लखनऊ : अगर आपकी महीने की आमदनी 25 हजार रुपये प्रतिमाह से कम है तो आपके लिए अच्छी खबर है।नए साल के पहले दिन ही भारत सरकार ऐसे सभी लोगों के लिए कम कीमत में आवास की नई योजना शुरू की है। इनमें बनने वाले फ्लैट की कीमत 12.59 लाख रुपये होगी, लेकिन सरकार आपको सिर्फ 4.75 लाख रुपये में यह फ्लैट देगी। फ्लैट की कीमत भी आवंटन के बाद देनी होगी। यह आवास देश के छह राज्यों में लाइट हाउस तकनीकी से बनाए जाएंगे। यह बहुमंजिला इमारत के रूप में होंगे। 

दरअसल सरकार की मंशा बड़े शहरों में किराये के घरों में रह रहे लोगों को मकान मुहैया करवाने की है। लाइट हाउस तकनीकी से बहुमंजिला इमारत बनाने के लिए जिन छह राज्यों का चयन किया गया है। इसमें मध्यप्रदेश तमिलनाडू, गुजरात , झारखंड , त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।  बता दें कि कुल चौदह राज्यों ने लाइट हाउस बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसमे छह राज्य का चयन किया गया था।  इसमें उत्तर प्रदेश का लखनऊ शहर चयनित हुआ है। यह बहुमंजिली इमारत  सुलतानपुर रोड पर अवध विहार में  बनेगी। इसमें 13 फ्लोर होंगे।  

 यह है योजना : लखनऊ के अवध विहार सेक्टर-पांच में भूखंड संख्या जी-एच -4 की दो हेक्टेयर भूमि पर इसका निर्माण होगा। यहां पर आवास विकास परिषद की तरफ से पहले से ही सड़क, सीवर, जलापूर्ति और बिजली की व्यवस्था है। प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत यह लाइट हाउस बनाए जाएंगे।

योजना के तहत कुल 1040 फ्लैट का निर्माण किया जाएगा। फ्लैट का एरिया 34.50 वर्ग मीटर होगा। इसमें केंद्र और राज्य सरकार अंश 7.84 लाख रुपये होगा। लाभार्थी को 4,75,654 रुपये ही देने होंगे। यह राशि लाभार्थी से आवंटन के बाद ली जाएगी और बैंक से लोन दिलवाने की भी योजना है। योजना के लिए रजिस्ट्रेशन दो माह में शुरू होंगे। आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन होगा। अधिक लाभार्थी आने पर चयन लॉटरी के माध्यम से होगा। लखनऊ में इन फ्लैट का निर्माण कार्य मेसर्स सस्टेनेबल हाउसिंग एलएलपी को करना है। तीन महीने में अनापत्तियां और क्लीयरेंस लेकर अधिकतम 12 माह में इसका निर्माण पूरा किया जाना है।

क्या है लाइट हाउस तकनीकी : इस तकनीकी में घर को बनाने की बजाय असमेंबल किया जाता है। इस दौरान पिलर, बीम आदि को दूसरे स्थान पर ढाला जाता है। और फिर जहां पर मकान बनना है वहां पर लाकर उसे असमेंबल कर दिया जाता है। बिल्कुल वैसे ही जैसे कम्प्यूटर को असमेंबल किया जाता है। यही वजह है कि यह घर पारंपरिक तरीके से बनने वाले घरों की तुलना में जल्दी बनते हैं और खर्च भी कम बैठता है। लखनऊ में इस तकनीकी से बनाई जाने वाली इमारत को 12 महीने में बनाकर तैयार किया जाने का लक्ष्य रखा गया है।

ये लाभार्थी होंगे पात्र :सालाना आय तीन लाख होनी चाहिए। नगर निगम सीमा का निवासी होना चाहिए। कोई अपना आवास नहीं होना चाहिए, इसका शपथ पत्र देना होगा। इन शहरों में बनेंगे लाइट हाउस। मध्यप्रदेश में इंदौर, तमिलनाडू में चेन्नई, गुजरात में राजकोट, झारखंड में रांची, त्रिपुरा में अगरतला, उत्तर प्रदेश में लखनऊ। कुल चौदह राज्यों ने लाइट हाउस बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसमे छह राज्य का चयन किया गया था।

मंगलवार, 12 जनवरी 2021

पोषक तत्वों से भरपूर होता है दालचीनी का पाउडर



भारतीय खाने में दालचीनी का अलग महत्व होता है। दालचीनी एक पेड़ की छाल होती है, जिसका स्वाद मीठा होता है। यही नहीं, दालचीनी में ढेर सारे पोषक तत्व होते हैं, जो आपको स्वस्थ रहने में मदद करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दालचीनी का पाउडर भी काफी फायदेमंद होता है। दालचीनी शरीर में हार्मोनल बदलावों को संतुलित करने के लिए विशेष तौर पर जानी जाती है, इसलिए इसका सेवन महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है। अगर आप रोज रात में सोने से पहले एक ग्लास गर्म दूध में 2 चुटकी दालचीनी का पाउडर डालकर पिएं तो इससे आपके शरीर को ढेर सारे स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। इसके फायदों पर एक नजर-


पोषक तत्वों से भरपूर

दालचीनी वाले दूध में कई पोषक तत्व होते हैं। दालचीनी में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, पोटैशियम और विटामिन-ए अच्छी मात्रा में होता है। इसके अलावा इसमें थोड़ी मात्रा में विटामिन-बी और कई बेहतरीन ऐंटीऑक्सिडेंट्स जैसे- कोलाइन, बीटा कैरोटीन, अल्फा-कैरोटीन, लाइकोपीन, ल्यूटिन आदि होते हैं। ये ऐंटीऑक्सिडेंट्स ब्लड शुगर घटाते हैं और इंफेक्शन का खतरा कम करते हैं। इसके अलावा डाइजेशन सही रखते हैं और इम्यूनिटी भी मजबूत बनाते हैं। 


नींद अच्छी आती है

अगर आपको भी नींद नहीं आती और लगातार अनिद्रा से जूझ रहे हैं तो दालचीनी वाला दूध बेहद फायदेमंद हो सकता है। खाना खाने के 1 घंटे बाद और सोने से 1 घंटे पहले एक गिलास दालचीनी वाला दूध पिएं। इससे फायदा मिलेगा। 


याद्दाश्त होगी मजबूत

बहुत से लोगों को भूलने की समस्या होती है। अगर आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो दालचीनी वाला दूध पिएं। इससे याद्दाश्त तेज होती है। कई रिसर्च बताती हैं कि दालचीनी का सेवन करने से बुढ़ापे में याद्दाश्त से जुड़ी समस्याएं जैसे डिमेंशिया और अल्जमाइर का खतरा कम होता है।


कोलेस्ट्रॉल करे कम

शरीर में लगातार बढ़ता हुआ वजन कोलेस्ट्रॉल के कारण हो सकता है। जिसे कई नैचरल सप्लीमेंट्स की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है। उन्हीं में से एक दालचीनी वाला दूध है। शोध के मुताबिक दूध में दालचीनी और शहद दोनों मिलाकर पीने से कोलेस्ट्रॉल कम किया जा सकता है। तभी मोटापा भी कंट्रोल हो सकता है।



वैज्ञानिकों ने बनाई अनोखी किट, किसान खुद जांच सकेंगे मिट्टी की उपजाऊ क्षमता

 


लखनऊ : राजधानी के पुरानी जेल रोड स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र की ओर से एक अनोखी किट बनाई गई है। इस किट के माध्यम से किसान खुद ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता जांच सकेंगे। किट आने से उनको मिट्टी की जांच के लिए अब भटकना नहीं पड़ेगा और न ही रिपोर्ट आने का इंतजार करना पड़ेगा। खास बात यह है कि यह किट हाईस्कूल पास कोई भी व्यक्ति चला सकेगा। किट के जरिए मिट्टी में मौजूद जिप्सम की जांच आसानी से की जा सकेगी। नए साल से किसानों को यह किट मिलने लगेगी।

ऊसर भूमि में सुधार के लिए मृदा परीक्षण में 15 से 20 दिन का समय लगता है, जबकि इस किट से मात्र 30 मिनट में लवणता को दूर करने के लिए जिप्सम की मात्रा की जनकारी हो जाएगी। पुरानी जेल रोड स्थित केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र के अध्यक्ष डॉ.विनोद कुमार मिश्रा ने बताया कि इस किट के उत्पादन के लिए दिल्ली के एग्रीइनोवेट इंडिया के माध्यम से एक निजी कंपनी को जिम्मा दिया गया है। हालांकि अभी कीट की कीमत ज्यादा है। उत्पादन बढ़ने पर किट की कीमत कम की जाएगी।  नए साल में यह किट किसानों को तोहफे के रूप में मिलेगी।

यूपी में 13.7 लाख हेक्टेयर भूमि ऊसर

देश में 67 लाख हेक्टेयर भूमि ऊसर है, जबकि प्रदेश में 13.7 हेक्टेयर भूमि ऊसर होने से कोई उत्पादन नहीं हो पाता। प्रयोगशालाओं की संख्या कम होने की वजह से रिपोर्ट आने में ही काफी समय लगता है। इस नई किट से किसानों को जिप्सम के प्रयोग की मात्र की जानकारी हो सकती है और ऊसर भूमि में शीघ्र सुधार हो सकता है। क्योंकि जिप्सम ही मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाता है। ऐसे में पता चलने पर ऊसर में अतिरिक्त जिप्सम डालकर उसे उपजाऊ बनाया जा सकता है।

हाईस्कूल पास चला लेगा किट

ऊसर भूमि में जिप्सम की मात्रा की जानकारी हाईस्कूल पास युवक आसानी से लगा लेगा। इसके लिए किसी विशेषज्ञ की जरूरत नहीं होगी। करनाल केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा.प्रबोध चंद्र शर्मा, वैज्ञानिक डा.संजय अरोड़ा, डा.अतुल कुमार सिंह, डा.यशपाल सिंह और कंपनी के निदेशक शेखर पांडेय की मौजूदगी में बुधवार को तकनीक को हस्तांतरित किया गया गया।

रविवार, 3 जनवरी 2021

खाली जमीन पर करें बांस की खेती, वन विभाग दे रहा अनुदान

  

एक हेक्टेअर पर 25 हजार रुपये का अनुदान मिलेगा


किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वन विभाग सहभागी बनेगा। नैशनल बैम्बू मिशन योजना के तहत किसानों को प्रति हेक्टेअर बांस की खेती करने पर 25 हजार रुपये का अनुदान देगा। जिले को चालू वित्तीय वर्ष के लिए 13 हेक्टेअर क्षेत्रफल में बांस की खेती शुरु कराने का लक्ष्य मिला है। विभाग को उम्मीद है कि बांस की कटान पर कोई रोक होने से इसका व्यापार बेहतर होगा। यहां तक बांस से कई तरह के चीजों का निर्माण करने वालों को आसानी से बांस भी मिल सकेगा। जिन किसानों के पास खाली जमीन है, उस पर अगर वह बांस की खेती करना चाहे तो वन विभाग उन्हें 25 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान देगा।  डीएफओ एसके तिवारी ने बताया कि लक्ष्य सीमित होने के कारण प्रथम आवक प्रथम पावक के आधार पर योजना में लाभार्थी चुना जाएगा। बांस की खेती अब तक बाराबंकी में नहीं होती थी। बांस की मांग बढ़ने पर शासन ने इस खेती को ढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की प्लानिंग की है।


अक्टूबर से मार्च मे करें शुरुआत

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बांस की खेती के लिए अक्टूबर से मार्च तक गड्ढा खोदने और जुलाई में रोपाई करने का उचित मौसम होता है। बाजार में 8 से 10 रुपये के अच्छी प्रजाति के पौध के उपलब्ध हैं। एक हेक्टेयर में 450 पौधे लगते हैं। जानकार बांस को खेत का खजाना कहते हैं। बांस को वन संपदा की लिस्ट से हटाकर भले ही किसानी का दर्जा दिया गया हो, लेकिन इस खेती का क्रियान्वयन वन विभाग से अब भी हो रहा है। जहां पर सरकारी नर्सरी में बांस के पौधे होते हैं, वहां पर किसानों को नि:शुल्क पौध उपलब्ध कराए जाते हैं। बांस की खेती से चार साल बाद मुनाफा शुरू हो जाता है। इससे पूर्व किसान बांस के कल्ले बिक्री कर लागत निकाल सकते हैं। एक एकड़ में 25 से 30 हजार रुपये के कल्ले बिक्री होते हैं। हरा सोना के नाम से बांस की खेती की पहचान होती है। सीतापुर में किसान ज्यादा खेती करते हैं। बंजर भूमि पर बांस की खेती करने से धीरे धीरे बंजर भी दूर होता है।


एक दिन में एक मीटर तक होती है वृद्धि

बांस के पौधे अन्य फसलों की तरह नही होते है। इसके कल्ले से जो भूमिगत तना निकलता है वह बड़ी तेजी से बढ़ता है और किसी-किसी किस्म की बढ़वार एक दिन में एक मीटर तक की होती है। बांस दो माह में अपना पूरा विकास कर लेता है। बांस के अच्छे बढ़वार के लिए बारिश में इसके कल्लों के बगल में मिट्टी चढ़ाकर जड़ों को ढक देना चाहिए। बांस की कटाई उसके होने वाले उपयोग पर निर्भर करता है अगर बांस की टोकरी बनानी है तो वह 3- वर्ष पुरानी फसल हो, अगर मजबूती के लिए बांस की आवश्यकता है तो 6 वर्ष की फसल ज्यादा उपयुक्त होती है। बांस की कटाई का उपयुक्त समय अक्टूबर के दूसरे सप्ताह से दिसम्बर माह तक का होता है। गर्मी के मौसम में बांस की कटाई नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे जड़ें सूख सकती है और कल्ले फूटने की कम संभावनाएं होती है। बांस का उपयोग सौदर्य प्रसाधन, बड़े बड़े होटलो में फर्नीचर, टिम्बर मर्चेंट से लेकर सस्कृति कार्यों तक में होता है। बांस के औषधीय गुण भी है। इसका मुरब्बा, अचार आदि भी बनाया जाता है। बांस की डलिया पूजा के काम आती हैं। पौधों की बैरीकेंडिंग से लेकर छप्पर निर्माण, टमाटर की खेती में बहुतायत होता है।