ग्रउंड अर्थ को समझने से पहले हमें फेज और न्यूट्रल के बारे में समझना होगा। कहीं पर भी बिजली देनी होती है तो हमेशा दो वायर दिए जाते हैं। इसमें एक फेज होता है और दूसरा न्यूट्रल। फेज वायर से करंट आता है और न्यूट्रल से वापस जाता है। अगर न्यूट्रल नहीं होगा तो सप्लाई रुक जाएगी, यानी करंट रुक गया। करंट जारी रहे इसलिए दोनों वायर लगाना जरूरी होता है।
(ग्राउंड अर्थ के बारे में बताने से पहले मैं आपको थोड़ा से करंट के बारे में बता दूं। करंट यानी इलेक्ट्रॉन का फ्लो, जब इलेक्ट्रॉन तेजी से चलते हैं तो समझा जाता है कि वायर में करंट आ रहा है। करंट सप्लाई होता रहे इसके लिए जरूरी है कि इलेक्ट्रॉन के आने और जाने की व्यवस्था हो। यानी एक वायर से इलेक्ट्रॉन आएं और दूसरे से चले जाएं। )
अब बात करते हैं ग्राउंड अर्थिंग की। ग्राउंड आर्थिंग का कार्य लोगों को करंट लगने से बचाना होता है। दरअसल फेस से आने वाला करंट न्यूट्रल से वापस जाता है तो कोई दिक्कत नहीं होती है। लेकिन अगर फेस से आया करंट न्यूट्रल में जाने से पहले आपके डिवाइस के किसी भी खुले हिस्से से छू जाता है तो संबंधित डिवाइस में करंट आ जाता है। इस अनचाहे करंट से बचने के लिए हम ग्राउंड अर्थ का इस्तेमाल करते हैं। इसको लगाने से घर में प्रयोग होने वाले बिजली के उपकरण आपको कभी करंट नहीं मारेंगे।
ये कैसे काम करता है
ग्राउंड अर्थ फेज से लीक करंट को पकड़कर उसे वायर के माध्यम से ग्राउंड में उतार देता है। इससे करंट लगने की संभावना खत्म हो जाती है। इसके अलावा यदि अचानक वोल्टेज तेज हो जाता है तो भी यह अतिरिक्त करंट को वायर के माध्यम से ग्राउंड में पहुंचा देता है और आपके घर के कीमती उपकरण फुंकने से बच जाते हैं। बिजली के बोर्ड में लगने वाले हर सॉकेट में ग्राउंड अर्थ के लिए प्रावधान किया गया है।
मेरे हाथ ये जो तीन प्लग वाला पिन है। इसमें दो छोटे पिन फेज और न्यूट्रल के हैं और ये जो तीसरा मोटा पिन है यह है अर्थ का। इसे हमेशा ज्यादा बड़ा बनाया जाता है, ताकि जब भी आप बोर्ड में प्लक लगाएं तो उसमें प्रवाहित लीकेज करंट को यह पहले पकड़कर ग्राउंड में पहुंचा दें और आपको करंट के झटके से बचा दें।
कैसे होती है ग्राउंड अर्थिंग
ग्राउंड अर्थिंग जैसा की नाम है ग्राउंड में होती है। इसको बनाने के लिए आपको मकान के किसी हिस्से में करीब सात से आठ फुट गहरा गड्ढा खोदकर उसमें नमक और कोयला की परत बिछा देनी चाहिए। इसके बाद एक तांबे की अर्थ प्लेट लेकर उसमें कॉपर वायर बांधकर उसे उस परत पर रखना चाहिए। इसके बाद तीन से चार बाद नमक और कोयले की परत को बिछा देना चाहिए। एक हिसाब से दस किलो नमक और दस से 12 किलो कोयला लगेगा। इसके बाद इस कॉपर वायर को एक प्लास्टिक पाइप से कवर कर ऊपर निकाल लेना चाहिए। ताकि जरूरत पर आप उस पाइप के जरिये कॉपर प्लेट तक पानी डाल सके। इसके बाद गड्ढे में पानी भरकर उसे पाट देना चाहिए। इस वायर को बोर्ड में जोड़कर पूरे घर में ग्राउंड अर्थ को दौड़ा दिया जाता है।
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