अब सिर्फ छह हजार रुपये में मकान की रजिस्ट्री होगी। जी हां उत्तरप्रदेश सरकार ने यह व्यवस्था कर दी है। यह नई व्यवस्था यूपी में 18 जून से शुरू की गई। फिलहाल यह छूट अगले छह महीने तक दी जा रही है। हालांकि यह छूट सिर्फ उन रजिस्ट्रियों में ही मिलेगी, जो रजिस्ट्रियां खून के रिश्ते में की जाएंगी। खून के रिश्ते में आने वालों में माता, पिता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, बहू, दामाद, सगा भाई, सगी बहन, पुत्र व पुत्री का बेटा-बेटी आदि। तो अगर आप भी इस कैटिगिरी में आते हैं तो यह आपके लिए सुनहरा अवसर है। तो चलिए जानते हैं पूरा मामला विस्तार से
दोस्तों,
अगर आप यूपी से हैं और अपने परिवार के किसी भी सदस्य के नाम अपनी कोई प्रॉपर्टी करने के बारे में सोच रहे हैं तो अगले छह महीने तक बहुत ही सुनहरा अवसर है। दरअसल उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने बीती 18 जून को कैबिनेट की बैठक में एक प्रस्ताव को हरी झंडी दी है। इसके तहत ब्लड रिलेश्न में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री करवाने पर अब सिर्फ छह हजार रुपये ही देने होंगे। इसमें पांच हजार रुपये स्टांप ड्यूटी और एक हजार रुपये प्रोसेसिंग फीस के होंगे। भले ही प्रॉपर्टी कितनी ही महंगी क्यों न हो।
जबकि इससे पहले ऐसे मामलों में प्रॉपर्टी की डीएम सर्किल् रेट के हिसाब से कीमत तय करते हुए, उस कीमत पर आठ प्रतिशत स्टैंप ड्यूटी लेने का नियम था। इस नए नियम की शर्त बस एक ही है कि रजिस्ट्री ब्लड रिलेशन में हो और उसे संबंधित को दान दिया जाए। यानी की गिफ्ट डीड। गिफ्ट डीड वो डीड होती है, जिसके तहत परिवार के बड़े अपने बच्चों अथवा छोटे भाई बहन को अपनी प्रॉपर्टी बिना किसी कीमत के दान में देते हैं।
आमतौर पर परिवार के मुखिया, पारिवारिक सदस्यों के पक्ष में वसीयत कर देते हैं। क्योंकि रजिस्ट्री करवाके किसी को संपत्ति सौंपना काफी खर्च भरा होता है। मुखिया की मृत्यु के बाद परिवार के सदस्य प्रॉपर्टी को वसीयत के हिसाब से बांटकर अपना-अपना हिस्सा कब्जे में ले लेते हैं, लेकिन उसकी रजिस्ट्री नहीं करवाते हैं।
इससे वो लोग उस प्रॉपर्टी में मालिक तो हो जाते हैं, लेकिन उस प्रॉपर्टी पर लोन आदि नहीं मिलता है। कई बार तो मामला पुराना होने पर प्रॉपर्टी में परिवार के कई अन्य लोग दावेदारी ठोंक देते हैं। इस तरह के मामलों से पारिवारी कोर्ट में हजारों केस पेंडिंग है। बेवजह की मुकदमे बाजी से बचने के लिए ही योगी सरकार ने यह नई व्यवस्था दी है।
यूपी में स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग की प्रमुख सचिव वीना कुमारी ने इसके आदेश जारी कर दिए। इस योजना को अभी पायलट प्रोजेक्ट के तहत छह माह के लिए शुरू किया गया है। क्योंकि इससे सरकार को साल में करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसलिए इसे ट्रॉयल के रूप में शुरू किया गया है। आगे चलकर इसे स्थायी किया जाएगा।
गिफ्ट डीड के दायरे में आने वाले पारिवारिक सदस्यों में पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, बहू, दामाद, सगा भाई, सगी बहन, पुत्र व पुत्री का बेटा-बेटी आएंगे। स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग ने इसकी अधिसूचना पिछले 18 जून को जारी कर दी है। अभी ऐसे मामलों में संपत्ति के विक्रय विलेख (सेल डीड) की रजिस्ट्री के तहत संपत्ति के मूल्य का आठ प्रतिशत तक स्टांप व निबंधन शुल्क देना होता है।
हालांकि छूट की यह सुविधा महाराष्ट्र, कर्नाटक व मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में पहले से ही थी। अब तक उत्तर प्रदेश में यह छूट नहीं दी जा रही थी।
भारतीय स्टांप अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश सरकार को ऐसी छूट देने का अधिकार है।
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