बुधवार, 15 जनवरी 2020

प्रॉपर्टी खरीदते समय इन 9 बातों का रखें विशेष ध्यान



प्रॉपर्टी खरीदते समय इन 9 बातों का रखें विशेष ध्यान

nbtshekhar@gmail.com


1. जल्दबाजी कतई न करें।

2. जब कभी जमीन अथवा किसी भी तरह की प्रॉपर्टी देखने जाएं तो पहले अपनी जरूरत और बजट को ध्यान में रखें।इसके बाद ब्रोकर द्वारा दिखाई गई साइट को कम से कम तीन बार अकेले और परिवार के साथ उसे देखने जाएं। कोशिश करें कि हर बार समय भी अलग हो। मसलन अगर पहली बार सुबह गए थे तो अब दोपहर में जाए और उसके बाद जाएं तो शाम और फिर एक बार रात में भी चक्कर मारकर देखे। क्योंकि जहां भी आप प्रॉपर्टी लेने जा रहे हैं वहां आपको पूरे दिन और रात बिताने हैं, ऐसे में वहां के हर समय का जायजा मिल जाएगा। मसलन सुबह शाम और रात में कुछ अंतर दिखेंगे जो आपको एक ही टाइम में जाने से छिपाए अथवा न दिखने वाले हो सकते हैं।

3. इसके अलावा जिस जगह भी प्रॉपर्टी ले रहे हैं वहां के पड़ोसियों से भी इलाके के बारे में जानकारी करें। उन्हें बताएं कि वो आपके मोहल्ले में जमीन अथवा फ्लैट ले रहे हैं। ताकि अगर कोई भी समस्या हो तो वो आपके सामने आ जाए। हो सकता है कि आपको कुछ लोग ऐसे भी मिल जाए जो सिर्फ आपको निगेटिव ही बताएं, लेकिन उससे घबराए नहीं। क्योंकि उनके बताने के बाद आप अपना निर्णय स्वयं लेने वाले हैं। हां एक फायदा जरूर होगा कि आप उनकी बताई बातों को भी जज कर पाएंगे। 4. जब आप दिखाई गई प्रॉपर्टी से पूरी तरह संतुष्ट हो जाएं तो फिर बेचने वाले से उसके पेपर मांगे और पूछे कि इस प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कौन करेगा। क्योंकि ज्यादातर बिल्डर कॉन्ट्रैक्ट अथवा एग्रीमेंट पर ही सेल करते हैं, ऐसे में आपको जमीन के असली मालिक का पता होना चाहिए। एग्रीमेंट पर बिल्डर जमीन मालिक से पावर ऑफ अटार्नी लेकर उसका आधा मालिक ही बनता है। इस दौरान आप उससे रेट को लेकर भी बात करें, और बागर्निंग भी करें। मानें तो ठीक नहीं तो कोई बात भी नहीं। प्रॉपर्टी खरीदते समय बार्गनिंग को बहुत ज्यादा तवज्जों नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि अगर प्रॉपर्टी आपके मतलब की है तो उसके दाम कम मायने रखते हैं।

5. पेपर चेक करने से पहले जमीन के आसपास का मुआयना अच्छे से कर लें, सुनिशचित करें कि उस जमीन का वाटर लेवल कितना है, पानी कैसा आता है। आसपास कितनी और कैसी कर्मशल एक्टिविटी होती है। कोई फैक्ट्री वैगरह है कि नहीं आदि

6. जमीन के पेपर दो तरह के होते हैं, एक जमीन रीसेल होती है और दूसरी किसान द्वारा बेची गई। अगर जमीन रीसेल है तो उसमें बैंक लोन करेगा। हालांकि यह लोन जमीन खरीदने के लिए नहीं होगा बल्कि खरीदने और बनवाने का एक साथ होगा। इससे ही पीएलसी कहा जाता है। जबकि किसान वाली जमीन खरीदने में बैंक लोन नहीं करेगा। क्योंकि किसान से खरीदी गई जमीन में आपको पेपर के नाम पर खतौनी और दाखिल खारिज का कागज ही मिलेंगे।रीसेल की जमीन में आपको पेपर के नाम पर रजिस्ट्री मिलेगी। रजिस्ट्री पेपर लेते समय ध्यान रखें कि रजिस्ट्री का अंतिम प़ृष्ठ पेपर में हो जरूर देख लें। इस पेपर में दो मुहर होंगी और जिल्द संख्या लिखी होगी। इसलिए पेपर लेते समय अंतिम और पहला पेपर जरूर देख लें। पहले पेपर में खरीददार और विक्रेता की फोटो और रजिस्ट्री करने वाले अधिकारी की भी फोटो भी होगी। हालांकि कई बार अधिकारी की फोटो नहीं भी होती है।

जबकि खतौनी में किसान आपको एक नंबर देगा जिससे आप इंटरनेट में भू-लेख पोर्टल पर जाकर चेक कर सकते हैं। इस पोर्टल पर जाने से पहले आपके पास जमीन जिस गांव में है उसका नाम और संबंधित तहसील का पता होना जरूरी है। इसके बाद ही आप भू-लेख पोर्टल से संबंधित जमीन का रेकॉर्ड देख सकते हैं। हालांकि यह डेटा अप्रमाणित होगा।

7. दो तरह के मामलों में आपको संबंधित तहसील जाना होगा। वहां एक वकील करना होगा। इस वकील से आप रजिस्ट्री की दूसरी नकल निकलवा सकते हैं। इसके लिए आपको वकील को नकल फीस और वकील की फीस देनी होगी। अगर आपके के पास खतौनी है तो आप वकील के माध्यम से तहसील से उक्त खतौनी का 60 साल का रेकॉर्ड मांग लें। यह रेकॉर्ड प्रामणित होगा। इससे आपको पता चल जाएगा कि उक्त जमीन पर पूरी तरह से कौन मालिक है। जमीन ग्राम समाज की है कि नहीं इसकी भी पुष्टि हो जाएगी। एक बार सबकुछ क्लीयर हो जाए तो आप डील फाइनल कर सकते हैं। 8. डील फाइनल करने से पहले संबंधित प्लॉट अथवा प्रॉपर्टी का चिह्नांकन भी करवा लें। इसके लिए आप संबंधित लेखपाल की मदद लें। लेखपाल अथवा अमीन के माध्यम से जमीन की पैमाइश करवा लें। उस पर निशानदेही भी कर दें। तदोंपरांत आप जमीन का बयाना कर दें। बाकी रकम रजिस्ट्री के दौरान ही देनी होती है।

9. रजिस्ट्री करवाने के तुरंत बाद ही संबंधित प्रॉपर्टी पर अपनी बाउंड्रीवॉल खिंचवा दें। भूमि पूजन के बाद बाउंड्री बनाने से आपकी जमीन आपके कब्जे में आ जाएगी।





























1 टिप्पणी:

Thanks