गुरुवार, 29 जुलाई 2021

मेक इन इंडिया का लोगो मेक इन फॉरेन है!

  

शेखर कुमार त्रिपाठी

मेक इन इंडिया, इस शब्द से हर भारतीय को लगाव होगा। ऐसे शब्दों को चुनने के लिए बीजेपी काफी रिसर्च करती है। ताकि लोग देश के नाम पर एकजुट हो जाएं। लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि मेक इन इंडिया का यह लोगो भी विदेशी फर्म ने बनाया है। इसे दुनिया के कई मशहूर लोगो डिजाइन करने वाली कंपनी वेइडेन प्लस केनेडी इंडिया लिमिटेड ने डिजाइन किया है। यह बात सही है, लेकिन इसमें भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोच विचार कर ही विदेशी क्रिएटिव एजेंसी को हायर किया है।


(मेक इन इंडिया का लोगो डिजाइन करने वाली विज्ञापन एजेंसी वेइडेन प्लस केनेडी के डायरेक्टर वी सुनील)

इस लोगो को तीन डिजाइनरों की टीम ने डिजाइन किया है। इसमें मुख्य रूप से चेर्मेयफ और गीस्मर का नाम है। जिन्हें कॉरपोरेट कंपनियों के लोगो डिजाइन में महारथ हासिल है। इन्होंने चेस बैंक (1964), मोबिल ऑइल (1965), पीबीएस, एनबीसी और नेशनल ज्योग्राफिक जैसी फर्म के लोगो को डिजाइन किया है।

मेक इन इंडिया का लोगो एक शेर का सिल्हूट है। जो पूरी तरह से लोहे के चक्रदंतों से बना है। जोकि निर्माण, ताकत और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। राष्ट्रीय चिह्न अशोक चक्र में भी चार शेर है। भारतीय लोककथाओं में शेर शक्ति, साहस, गर्व और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करने के अलावा, ज्ञान की प्राप्ति को दर्शाता है।

लोगो को विदेशी कंपनी की इंडियन ब्रांच ने डिजाइन किया है। इस बात का खुलासा राइट टू इंफॉर्मेशन एक्ट (RTI) से मिली जानकारी में हुआ है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने मध्य प्रदेश के एक्टिविस्ट चंद्र शेखर गौड़ के प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि मेक इन इंडिया का लोगो डिजाइन करने के लिए कोई टेंडर नहीं निकाला गया था। 2014-15 में मंत्रालय ने लोगो डिजाइन के लिए क्रिएटिव एजेंसी को चुनने के लिए टेंडर आमंत्रित किया था। इसी के आधार पर वेइडेन प्लस केनेडी इंडिया लिमिटेड को चुना गया था।

हालांकि यहां विपक्ष और आलोचकों को यह समझना होगा कि मेक इन इंडिया और मेड इन इंडिया दो अलग-अलग शब्द है। दोनों के अर्थ अलग है। 'मेड इन इंडिया' भारत में देश के ही कच्चे माल का प्रयोग कर तैयार किए गए उत्पाद की बात करता है। जबकि मेक इन इंडिया विदेशी सामान को तैयार करने में सिर्फ भारत की जगह और यहां के लेबर को इस्तेमाल करने को बढ़ावा देने का मिशन है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी मिशन मेक इन इंडिया का लोगो यद्यपि एक विदेशी कंपनी द्वारा बनाया गया है। यह लोगो देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने के लक्ष्य को दर्शाता है। ऐसे में इस लोगो को विदेशी कंपनी द्वारा बनाया जाना चौंकाने वाला लग सकता है। लेकिन इसके पीछे की मंशा विदेशी पूंजी को भारत लाने से जुड़ी है, ऐसे में इसका विदेशी लोगो की तुलना में आकर्षित होना और भारतीय मूल तत्वों को समेटना जरूरी था। इसलिए इस लोगो बनाने के लिए देश और देश की संयुक्त समझ रखने वाली कंपनी को चुना गया है।

मोदी सरकार ने इस लोगो न सिर्फ बनवाने के लिए अमेरिका की विज्ञापन एजेंसी वेइडेन प्लस केनेडी को हायर किया था, बल्कि उसके प्रचार के लिए भी 11 करोड़ रुपये खर्च किए थे। यही नहीं सरकार ने अपनी पूर्व अनुमति के बिना मेक इन इंडिया लोगो के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया था, ताकि इस लोगो का दुरुपयोग न हो सके।

बुधवार, 28 जुलाई 2021

आखिर पेगासस पर क्यों मचा है बवाल, जाने पूरी कहानी


शेखर कुमार त्रिपाठी

आज पेगासस स्पाईवेयर को लेकर संसद में हंगामा हुआ है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल मोदी सरकार ने कुछ लोगों की जासूसी करने के लिए किया है। दरअसल पेगासस स्पाईवेयर एक तरह का वायरस है। जो आपके मोबाइल में आकर आपका डेटा दूसरों को भेजता है। यानी की जासूसी करने के लिए ही इसे डिजाइन किया गया है। इस वायरस को कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये आसानी से एंड्राइड और आईओएस मोबाइल फोन में अपनी जगह बना लेता है। आमतौर पर कहा जाता है कि कोई वायरस मोबाइल फोन में तब प्रवेश करता है जब आप कोई अनजान लिंक क्लिक करते हैं, या फिर कोई अनजान कॉल रिसीव करते हैं। लेकिन पेगासस स्पाईवेयर बहुत ही एडवांस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करता है। यानी की इसे आपके मोबाइल पर जाने के लिए न तो लिंक भेजने की जरूरत है और न ही कोई कॉल करने की। इसको किसी के मोबाइल में डालने के लिए बस उसका नंबर पता होना ही काफी है। एक एसएमएस अथवा मिसकॉल देकर भी आप इसे मोबाइल में अपलोड कर सकते हैं। यानी अगर आप अनजान कॉल नहीं भी उठाते हैं तो भी यह वायरस आपके मोबाइल फोन पर अपनी पैठ बना सकता है। 

अगर यह वायरस आपके मोबाइल में एक बार आ गया तो न सिर्फ आपके मोबाइल का डेटा, बल्कि आपकी कॉल रिकॉर्डिंग से लेकर विडियो रेकॉर्डिंग तक दूसरों के पास पहुंच सकती है। यही नहीं यह वायरस आपके मोबाइल से आपकी फोटो तक क्लिक कर दूसरों को भेज सकता है। कहा जा रहा है कि यह वायरस माइक्रोफोन को भी हैक कर लेता है और किसी के द्वारा बोले गए वाक्यों को सुनने की क्षमता रखता है। दुनिया भर में कई सरकारें इस वायरस का इस्तेमाल अपने देश में आतंकवाद और क्राइम को खत्म करने के लिए कर रही हैं। 

 इस कंपनी ने बनाया है पेगासस स्पाईवेयर


पेगासस स्पाईवेयर को इजरायल की एनएसओ (Niv carmi Shalev hulio Omri lavie) कंपनी ने बनाया है। इस कंपनी का नाम तीन फाउंडर के नाम पर रखा गया है। इसमें एक Niv carmi है। दूसरे का नाम Shalev hulio है जबकि तीसरे फाउंडर Omri lavie है। इजरायल की कंपनी एनएसओ का दावा है कि उन्होंने यह स्पाईवेयर ड्रग माफिया, क्राइम और आतंकवादियों की पहचान कर उनके खात्मे के लिए तैयार किया है। खुद मैक्सिको सरकार ने कहा कि उन्होंने इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर मशहूर ड्रग माफिया एल चापो को पकड़ा है। इस तरह से देखा जाए तो यह स्पाईवेयर काफी सराहनीय है।


क्यों आया चर्चा में

दरअसल मैक्सिको में पहली बार मालूम हुआ कि मैक्सिको सरकार ने एक पत्रकार की जासूसी में इस पेगासस स्पाई वेयर का इस्तेमाल किया था। इस पत्रकार ने वहां कई बड़े घोटालों का खुलासा किया था। बाद में इस पत्रकार की हत्या हो गई थी। इसके अलावा एक और मामला चर्चा में आया था जब वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल की हत्या कर दी गई थी। इस हत्या को लेकर कहा गया था कि सऊदी अरब की सरकार ने ही पत्रकार की हत्या करवा दी है। जांच में मालूम हुआ था कि पत्रकार जमाल की हत्या के कुछ दिन पहले ही उसकी वाइफ के मोबाइल में भी पेगासस स्पाईवेयर को इंस्टॉल किया गया था।  

यह पेगासस तब भी चर्चा में आया था जब सऊदी अरब के प्रिंस ने अमेजॉन के मालिक जेफ बेजॉस का फोन हैक कर लिया था। जेफ बेजॉस को यह बात तब पता चली जब उन्होंने गौर किया कि उनका मोबाइल आवश्यकता से ज्यादा डेटा  खर्च कर रहा है। हाल ही में इसके चर्चा में आने की वजह है फ्रांस के एनजीओ फॉरबिडन स्टोरी का खुलासा। फॉरबिडन स्टोरी ने अमेटी इंटरनेशनल की टेक्निकल मदद से 50 हजार मोबाइल नंबर जारी किए हैं। इन नंबरों पर पेगासस इंस्टॉल किया गया था या फिर यह लोग पेगासस के लिए बतौर टॉरगेट चुने गए थे।  इसमें 10  देशों के 80 से ज्यादा पत्रकार, 17 मीडिया संस्थान भी शामिल हैं। 

इन 11 देशों की सरकारों ने पेगासस स्पाई वेयर के लिए किया भुगतान

अमेटी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के 11 देशों में इस स्पाईवेयर के क्लाइंट सामने आए हैं। इसमें शामिल देशों में टोगा, रवांडा, मोरक्को, सऊदी अरब, बहरीन, यूएई, अजर बैजान, कजाकिस्तान, मैक्सिको, हंगरी और भारत शामिल है। इन सभी देशों में लोकतंत्र की रैंक काफी नीचे है। भारत की तुलना में सभी की रैंक बहुत नीचे है। यानि हम कह सकते हैं कि इस स्पाईवेयर का इस्तेमाल ज्यादातर उन देशों ने किया जहां डेमोक्रेसी रैंक काफी कम है। एनएसओ का दावा है कि वो इस स्पाई वेयर को सिर्फ सरकार को बेचती है, क्योंकि इसको बनाने का उद्देश्य आतंकवाद और क्राइम के खात्मे के लिए किया गया है। 

क्या पेगासस स्पाईवेयर से बचा जा सकता है

आपको बता दें कि अब तक ऐसा कोई तरीका नहीं मिला है, जिससे इस वायरस से बचा जा सकता हो। केवल एक ही उपाय है कि आप अपना मोबाइल नंबर ही किसी अनजान को न दें, हालांकि यह हो पाना मुमकिन नहीं है। यानी अब तक पेगासस स्पाईवेयर का कोई तोड़ नहीं निकला है। इस स्पाई वेयर के कारण ही फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुल मैक्रा ने अपना फोन बदल लिया है।

पचास हजार की लिस्ट में भारत के तीन सौ लोगों के नाम शामिल 

अमेटी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ने जो पचास हजार मोबाइल नंबर जारी किए हैं, उसमें से तीन सौ नंबर भारत के हैं। इन मोबाइल नंबरों पर वर्ष 2017 से 2019 के बीच पेगासस स्पाई वेयर इंस्टॉल किया गया था


राजनेता

राहुल गांधी और उनके दो सलाहकार

प्रशांत किशोर 

अभिषेक बनर्जी

वसुंधरा राजे के पर्सनल सचिव

प्रवीन तोगड़िया 

आईटी मंत्री अश्विनी वर्षेण्य


सरकारी अफसर

पूर्व सीबीआई चीफ आलोक वर्मा

सीबीआई के सीनियर अफसर राकेश आस्थाना

इलेक्शन कमिश्नर आशोक लवासा

पत्रकार

फ्रीलांसर रोहिनी सिंह

ये वही रोहिनी सिंह हैं जिन्होंने जय शाह की खबर उठाई थी कि कैसे उनकी कमाई एक साल में 16000 गुना तक बढ़ी है।

द हिंदू की पत्रकार विजेता सिंह

विजेता सिंह ने खबर छापी थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा का बजट एक साल में 33 से 333 करोड़ कर दिया गया । इस पर प्रशांत भूषण ने कहा था कि 300 करोड़ का इस्तेमाल पेगासस स्पाई वेयर खरीदने मे किया गया था। अगले साल यह बजट 800 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। प्रशांत भूषण के आरोप का सरकार ने अब तक जवाब नहीं दिया है। 

इसके अलावा  स्वाति सिंह, इंडियान एक्सप्रेस के जर्नलिस्ट सुशांत सिंह, इंडिया टुडे के जर्नजिस्ट संदीप जैसे कई अन्य पत्रकार हैं। यहां तक की सीजेआई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की स्टाफ में शामिल महिला के मोबाइल में भी पेगासस स्पाई वेयर इंस्टॉल किया गया था।


पेगासस की जासूसी में काफी खर्च आता है : दरअसल पेगासस स्पाई वेयर को खरीदना काफी महंगा है। दस फोन में इंस्टॉल करने के लिए यह पांच करोड़ रुपये खर्च होते हैं। 


अब आप जरा सोचे कि जो स्पाईवेयर आतंकवादियों और ड्रग माफिया के खात्मे के लिए बना था, उसका इस्तेमाल विपक्षी राजनेता, पत्रकार मानवाधिकार संगठन चलाने वाले सामाजिक लोगों पर किया जा रहा है। क्या यह पेगासस स्पाई वेयर वाकई श्वेत पंखों वाला घोड़ा है, या फिर ऐसा हथियार जो गलत हाथों में आने क बाद लोकतंत्र के खात्मे की वजह। दरअसल पेगासस शब्द उस श्वेत पंखों वाले घोड़े के लिए इस्तेमाल होता है जो धरती पर शांति कायम करने के लिए आया है। अब  अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें।